छोटे निवेशक उम्मीद बांध रहे हैं कि सेंसेक्स अपने
मौजूदा स्तर की तुलना में इस साल दिसंबर तक 14 फीसदी चढ़ जाएगा। इसके साथ ही उन्होंने अनुमान जताया है कि इस साल बैंक की डिपॉजिट दरें 9.4 फीसदी के स्तर पर स्थिर रहेंगी। रीटेल निवेशकों की यह राय मॉर्गन स्टैनली के एक सर्वे में सामने आई। इस सर्वे में औसतन 13,500 डॉलर सालाना आमदनी वाले 600 शहरी इक्विटी निवेशकों को शामिल किया गया था। सर्वेक्षण के मुताबिक, भारतीय शेयर बाजार के बेहतर प्रदर्शन में सबसे बड़ी भूमिका विदेशी बाजारों की हो सकती है और घरेलू बाजार के लिए मुद्रास्फीति से ज्यादा बड़ी चिंता की बात राजनीतिक अस्थिरता हो सकती है।
मॉर्गन स्टैनली की एनालिस्ट शीला राठी और रिदम देसाई ने रिपोर्ट में कहा, 'सर्वेक्षण में शामिल छोटे निवेशकों को उम्मीद है कि बाजार मौजूदा स्तरों से 20 फीसदी ऊपर यानी 22,790 अंक तक जा सकता है। शेयर बाजार के प्रदर्शन को लेकर वे काफी उत्साहित हैं।' सोमवार को सेंसेक्स 0.68 फीसदी चढ़कर 18,943 अंक पर बंद हुआ। शेयर बाजार को लेकर छोटे निवेशकों की यह उम्मीद ग्लोबल फंड मैनेजरों की राय से एकदम अलग है। इस साल भारतीय शेयर बाजार के प्रदर्शन को लेकर ग्लोबल फंड मैनेजरों का नजरिया काफी निराशावादी है।
मेरिल लिंच ने पिछले महीने ग्लोबल इनवेस्टर्स के बीच सवेर्क्षण कराया था। इस सर्वेक्षण में शामिल निवेशकों ने भारतीय स्टॉक मार्केट को कम पसंदीदा बाजारों की सूची में शामिल किया था। नोमुरा इंटरनेशनल में इक्विटी स्ट्रैटेजी के ग्लोबल हेड इयान स्कॉट ने हाल में दिए एक इंटरव्यू में कहा था कि इस साल भारतीय शेयर बाजार का प्रदर्शन दूसरे उभरते बाजारों से कम रहेगा। उनका कहना है कि बढ़ती महंगाई से आर्थिक वृद्धि की रफ्तार कम हो सकती है और शेयरों की कीमत ज्यादा रहने से यह बाजार आकर्षक नहीं रह गया है। विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) ने पिछले साल भारतीय बाजार में लगभग 30 अरब डॉलर का निवेश किया था। उन्होंने इस साल अब तक 1.6 अरब डॉलर मूल्य के शेयरों की बिकवाली की है।
मॉर्गन स्टैनली के सर्वेक्षण में शामिल एक चौथाई छोटे निवेशकों को लगता है कि शेयरों की कीमत अब भी ज्यादा है। वे बाजार में करेक्शन आने पर ही खरीदारी करेंगे। सेंसेक्स इस साल अब तक लगभग 7 फीसदी कमजोर हुआ है। छोटे निवेशकों का सबसे पसंदीदा सेक्टर टेक्नोलॉजी है। टेलीकॉम सेक्टर उनके पसंदीदा सेक्टर की सूची में सबसे निचले पायदान पर है। मॉर्गन स्टैनली के मुताबिक, 'साल 2010 में टेक्नोलॉजी शेयरों का प्रदर्शन सबसे अच्छा और टेलीकॉम का सबसे बुरा रहा था।'
जहां तक बैंकों की डिपॉजिट रेट की बात है तो सर्वेक्षण में शामिल निवेशकों में सिर्फ 14 फीसदी का मानना है कि डिपॉजिट दरों में और बढ़ोतरी हो सकती है। मॉर्गन स्टैनली के मुताबिक, 'सर्वेक्षण का सैंपल काफी सीमित रहा (इसमें शहरी परिवारों की टॉप 4 फीसदी आबादी में से इक्विटी निवेशकों को लिया गया) लेकिन इससे काफी महत्वपूर्ण बात का पता चला है। लोगों को लग रहा है कि मुद्रास्फीति की दरें अब ऊपर नहीं जाएंगी।'
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शेयर बाजार हफ्ते के दूसरे कारोबारी दिन मंगलवार को फ्लैट खुले, लेकिन जल्द ही इसमें तेजी
देखने को मिली। शुरुआती कारोबार के दौरान प्रमुख सूचकांक सेंसेक्स 88.33 पॉइंट्स और निफ्टी 19.70 पॉइंट्स बढ़कर ट्रेड कर रहा था।
शुरुआती कारोबार के दौरान बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) का 30 शेयरों वाला संवेदी सूचकांक सेंसेक्स 88.33 पॉइंट्स बढ़कर 19,031.47 पर कारोबार कर रहा था। वहीं नैशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) का 50 शेयरों वाला सूचकांक निफ्टी 19.70 पॉइंट्स बढ़कर 5,706.95 पर कारोबार कर रहा था।
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मॉर्गन स्टैनली की एनालिस्ट शीला राठी और रिदम देसाई ने रिपोर्ट में कहा, 'सर्वेक्षण में शामिल छोटे निवेशकों को उम्मीद है कि बाजार मौजूदा स्तरों से 20 फीसदी ऊपर यानी 22,790 अंक तक जा सकता है। शेयर बाजार के प्रदर्शन को लेकर वे काफी उत्साहित हैं।' सोमवार को सेंसेक्स 0.68 फीसदी चढ़कर 18,943 अंक पर बंद हुआ। शेयर बाजार को लेकर छोटे निवेशकों की यह उम्मीद ग्लोबल फंड मैनेजरों की राय से एकदम अलग है। इस साल भारतीय शेयर बाजार के प्रदर्शन को लेकर ग्लोबल फंड मैनेजरों का नजरिया काफी निराशावादी है।
मेरिल लिंच ने पिछले महीने ग्लोबल इनवेस्टर्स के बीच सवेर्क्षण कराया था। इस सर्वेक्षण में शामिल निवेशकों ने भारतीय स्टॉक मार्केट को कम पसंदीदा बाजारों की सूची में शामिल किया था। नोमुरा इंटरनेशनल में इक्विटी स्ट्रैटेजी के ग्लोबल हेड इयान स्कॉट ने हाल में दिए एक इंटरव्यू में कहा था कि इस साल भारतीय शेयर बाजार का प्रदर्शन दूसरे उभरते बाजारों से कम रहेगा। उनका कहना है कि बढ़ती महंगाई से आर्थिक वृद्धि की रफ्तार कम हो सकती है और शेयरों की कीमत ज्यादा रहने से यह बाजार आकर्षक नहीं रह गया है। विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) ने पिछले साल भारतीय बाजार में लगभग 30 अरब डॉलर का निवेश किया था। उन्होंने इस साल अब तक 1.6 अरब डॉलर मूल्य के शेयरों की बिकवाली की है।
मॉर्गन स्टैनली के सर्वेक्षण में शामिल एक चौथाई छोटे निवेशकों को लगता है कि शेयरों की कीमत अब भी ज्यादा है। वे बाजार में करेक्शन आने पर ही खरीदारी करेंगे। सेंसेक्स इस साल अब तक लगभग 7 फीसदी कमजोर हुआ है। छोटे निवेशकों का सबसे पसंदीदा सेक्टर टेक्नोलॉजी है। टेलीकॉम सेक्टर उनके पसंदीदा सेक्टर की सूची में सबसे निचले पायदान पर है। मॉर्गन स्टैनली के मुताबिक, 'साल 2010 में टेक्नोलॉजी शेयरों का प्रदर्शन सबसे अच्छा और टेलीकॉम का सबसे बुरा रहा था।'
जहां तक बैंकों की डिपॉजिट रेट की बात है तो सर्वेक्षण में शामिल निवेशकों में सिर्फ 14 फीसदी का मानना है कि डिपॉजिट दरों में और बढ़ोतरी हो सकती है। मॉर्गन स्टैनली के मुताबिक, 'सर्वेक्षण का सैंपल काफी सीमित रहा (इसमें शहरी परिवारों की टॉप 4 फीसदी आबादी में से इक्विटी निवेशकों को लिया गया) लेकिन इससे काफी महत्वपूर्ण बात का पता चला है। लोगों को लग रहा है कि मुद्रास्फीति की दरें अब ऊपर नहीं जाएंगी।'
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शेयर बाजार हफ्ते के दूसरे कारोबारी दिन मंगलवार को फ्लैट खुले, लेकिन जल्द ही इसमें तेजी
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शुरुआती कारोबार के दौरान बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) का 30 शेयरों वाला संवेदी सूचकांक सेंसेक्स 88.33 पॉइंट्स बढ़कर 19,031.47 पर कारोबार कर रहा था। वहीं नैशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) का 50 शेयरों वाला सूचकांक निफ्टी 19.70 पॉइंट्स बढ़कर 5,706.95 पर कारोबार कर रहा था।
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रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड (आरआईएल) फाइनैंस सेक्टर में उतरने जा रही है। कंपनी ने
आरआईएल के चेयरमैन और एमडी मुकेश अंबानी ने कहा, 'फाइनैंस सर्विस सेक्टर में डीई शॉ समूह को भागीदार बनाने से हमें काफी खुशी हुई है। हम साथ मिलकर देश के तेजी से बढ़ते फाइनैंस सर्विस सेक्टर में भागीदारी चाहते हैं।' डीई शॉ समूह वैश्विक निवेश और प्रौद्योगिकी विकास कंपनी है। भारत में 1996 से कंपनी की उपस्थिति है। विभिन्न क्षेत्रों में इसका निवेश है। इसके हैदराबाद, गुड़गांव और मुंबई कार्यालयों में 700 से ज्यादा कर्मचारी हैं। ---------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------- मैक्स इंडिया और बजाज फिनसर्व समेत बीमा सेक्टर के कुछ गोल्डमैन सैक्स की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि शॉर्ट टर्म में इन कंपनियों के शेयरों में उतार-चढ़ाव बना रह सकता है। रिपोर्ट के मुताबिक, बीमा कंपनियों की वॉल्यूम ग्रोथ और मार्जिन को लेकर अनिश्चितता बनी हुई है। इसके बावजूद इनके शेयरों में ज्यादा गिरावट की आशंका नहीं है। दरअसल, ये शेयर पहले ही काफी गिर चुके हैं। पिछले दो साल से घरेलू बीमा सेक्टर को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। पहले तो वित्तीय संकट का असर इन कंपनियों के कारोबार पर पड़ा। इसके बाद रेगुलेटरी बदलावों से इंडस्ट्री को धक्का लगा। इस वजह से बीमा कंपनियों को कारोबारी स्ट्रैटेजी और बिजनेस मॉडल में बदलाव करना पड़ा। रेगुलेटरी बदलावों की वजह से कंपनियों को कमीशन और चार्ज कम करने पड़े, साथ ही एसेट अंडर मैनेजमेंट फीस घटानी पड़ी। उन्हें यूनिट लिंक्ड बीमा योजनाओं (यूलिप) पर सरेंडर चार्ज भी कम करना पड़ा। इन कदमों से ग्राहकों को फायदा हुआ और इससे लंबे वक्त में कंपनियों के प्रीमियम कलेक्शन में ज्यादा ग्रोथ की उम्मीद है। वित्त वर्ष 2010-11 में प्रीमियम इनकम के शून्य से पांच फीसदी की दर से बढ़ने की उम्मीद है। साथ ही वित्त वर्ष 2012-13 से 2014-15 तक इसमें 15 से 20 फीसदी की ग्रोथ हो सकती है। मिसाल के तौर पर, मैक्स इंडिया के आगे बाजार के बेंचमार्क सूचकांकों से ज्यादा बेहतर प्रदर्शन करने की उम्मीद है। कंपनी ने लागत कम करने में कामयाबी पाई है। साथ ही वह बेहतर उत्पादकता पर भी ध्यान दे रही है। मैक्स इंडिया के पारंपरिक उत्पादों पर ज्यादा फोकस करने पर सबसे बड़ा जोखिम इनके ज्यादा वक्त तक रहने से जुड़ा हुआ है और इससे कंपनी के मार्जिन पर असर पड़ सकता है। इसकी वजह यह है कि रेगुलेटर की गाज का शिकार आने वक्त में यही पारंपरिक योजनाएं हो सकती हैं। वित्त वर्ष 2011-12 के लिए अनुमान के मुताबिक, कंपनी का कंसॉलिडेटेड प्रॉफिट बढ़कर 218 करोड़ रुपए होने की उम्मीद है जबकि वित्त वर्ष 2009-10 में कंपनी को 75.7 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ था। बीमा और हेल्थकेयर सेक्टर में दोबारा मजबूती की वजह से कंपनी के प्रॉफिट में बढ़ोतरी होगी। कंपनी के पास 580 करोड़ रुपए का कैश है। जो इसकी पूंजीगत जरूरतों के लिहाज से काफी है। एनालिस्टों का मानना है, 'कंपनी रईस ग्राहकों पर फोकस करने की योजना बना रही है। इससे कंपनी को 78 फीसदी के मौजूदा कंजर्वेशन रेशियो में सुधार की उम्मीद है।' ----------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------
---------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------- मॉयल सलाह: खरीदें बाजार मूल्य: 408 लक्ष्य मूल्य: 431 स्टॉप लॉस: 393 मॉयल के शेयरों को लिस्ट हुए ज्यादा दिन हीं हुए हैं और यह आसानी से 390 रुपए के 20 डीएमए से बंद हुआ। लिस्टिंग के बाद शेयरों में कंसॉलिडेशन के बाद यह स्थिति काफी सकारात्मक है। कंपनी के शेयर 23 कारोबारी सत्रों के ऊपर बंद हुए हैं। इसमें 393 रुपए पर स्टॉप लॉस लगाकर खरीदारी की जा सकती है। आईबी रियल एस्टेट बाजार मूल्य: 121 लक्ष्य मूल्य: 130 स्टॉप लॉस: 115 आईबी रियल एस्टेट के शेयरों ने 24 मार्च को (114.15-115.05 रुपए का) गैप अप दिया था। नियमित तेजी के रुझान के बीच शेयरों में अंग्रेजी के डब्ल्यू आकार में रिकवरी दिख रहा है। शेयर तेजी में 134 रुपए के 100 डीएमए तक जा सकते हैं। इसके अलावा, शेयर 35 ट्रेडिंग सत्रों में ऊपरी स्तर पर बंद हुए हैं। महिंद्रा हॉलिडेज बाजार मूल्य: 378 लक्ष्य मूल्य: 408 स्टॉप लॉस: 358 महिंद्रा हॉलिडेज के शेयरों में बॉटम फॉर्मेशन हुआ है और ये अच्छे खासे वॉल्यूम के साथ 372 रुपए के 100 डीएमए पर बंद हुए हैं। कंपनी के शेयर काफी कम समय में 432 रुपए के 200 डीएमए तक जा सकते हैं। शेयरों में डेली, वीकली और मंथली चार्ट पर 333 से 335 रुपए के बीच डबल बॉटम बना है। जेपी एसोसिएट्स बाजार मूल्य: 90 लक्ष्य मूल्य: 98 स्टॉप लॉस: 85 जेपी एसोसिएट्स के शेयर हायर लो बनाने के बाद हायर हाई बना रहे हैं। कंपनी के शेयर 40 कारोबारी सत्रों के उच्चतम स्तर पर बंद हुए हैं। शेयरों में 83 रुपए के 20 डीएमए से ऊपर कारोबार हो रहा है। इसे 99 रुपए के 100 डीएमए और 111 रुपए के 200 डीएमए पर प्रतिरोध का सामना करना पड़ सकता है। व्हर्लपूल बाजार मूल्य: 264 लक्ष्य मूल्य: 282 स्टॉप लॉस: 252 व्हर्लपूल के शेयरों में राउंडिंग बॉटम फॉर्मेशन हुआ है। शेयर 50 कारोबारी सत्रों के उच्चतम स्तर पर बंद हुए हैं। शेयरों में 260 रुपए के 100 डीएमए से ऊपर कारोबार हो रहा है। वीकली चार्ट पर मजबूती नजर आ रही है। पिछले 5 हफ्ते में हायर लो बन रहा है। इसमें 252 रुपए पर स्टॉप लॉस लगाकर खरीदारी की जा सकती है। | |||||
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